fatah kabul ( islami tareekhi novel ) part 35

 बिमला आगोश इस्लाम में ...... 





यह दोनों ईशा के टाइम लश्कर में पहुंचे उस वक़्त अज़ान हो रही थी बिमला ने कहा " कहा चले गए थे बेटा "
इल्यास : मैं अपनी बहन के पास गया था। 

बिमला : अच्छा ,बहन को साथ ही लाये हो। देखु तो। 

उसने बढ़ कर कमला को देखा। शायद उसे पहचान लिया " अच्छा बी कमला है। तुमने तो मुझे न पहचाना होगा। 

कमला : मैंने देखा ज़रूर है। 

बिमला : मैं तुम्हे अच्छी तरह जानती हु। तुम्हारे पिता तो अच्छी तरह है। 

कमला : अच्छी तरह है। 

इसी वक़्त इल्यास की माँ आगयीं। कमला ने उन्हें सलाम किया। उन्होंने दुआ दे कर कहा "  इल्यास शायद तुम्हारे पास गए थे। 

कमला : जी हां। 

अम्मी : आओ बेटी बैठो। 

इल्यास : अम्मी ! मैं नमाज़ पढ़ आऊं। 

अम्मी : पढ़ आओ बेटा। मैं भी पढ़ लू। 

इल्यास नमाज़ पढ़ने चले गए। सब मुसलमानो ने एक जगह जमा हो कर जमाअत के साथ नमाज़ पढ़ी। हज़ारो आदमियों  का चांदनी में एक साथ रुकू  और सजदा करना निहायत भला मालूम हो रहा था। खुदा  के बन्दों ने खुदा  को सजदा करके उसकी हस्ती को साबित कर दिया था ,वह कोह सारो में रेग ज़ारो में दरिआयो में समुन्दरो में जहा जाते  थे खुदा की वहदानियत की मुनादी करते थे। 

जब इल्यास नमाज़ पढ़ कर आये तो देखा की कमला को उनकी अम्मी खुजुरे खिला रही है। कुछ देर के बाद यह सब  सो गए। सुबह अज़ान सुनते ही उठे ,ज़रूरीअत से फ़ारिग हुए नमाज़ पढ़ी। बिमला ने कहा " क़सम है उसकी जिसने हमें तुम्हे और सबको पैदा किया है। की तुम्हारे इबादत करने का तरीक़ा बड़ा पाया है तुम मिल कर रहते हो यहाँ तक की मिल कर खाना खाते हो और मिल कर इबादत करते हो। तुम्हारी हर बात अच्छी होती है। कई मर्तबा मेरे दिल में  आयी की मैं भी तुम्हारे साथ मिल कर इबादत करू। मगर रुक गयी। 

अम्मी : एक जाहति इत्तेफ़ाक़ और मिल कर इबादत करते देखने से कुछ नहीं होता। पहले इस्लाम की तालीम से वाक़फ़ियत  हासिल करो। इस्लाम  कहता है ,खुदा एक है। हर वक़्त हर जगह मौजूद रहता है।  न कभी सोता है ,न थकता  है। वही जिलाता है ज़िन्दगी देता ,पैदा करता और मारता है। बड़ी क़ुदरत वाला है। उसके हुक्म के बगैर ज़र्रा  भी हरकत नहीं कर सकता। जिसको जितना चाहता है रिज़्क़ देता है। जिसको चाहता है इज़्ज़त देता है। अज़मत  देता है। हुकूमत देता है और सल्तनत देता है। जिससे जब चाहता है इज़्ज़त ,दौलत और हुकूमत सब छीन लेता है  जिसे चाहता है ज़लील व रुस्वा कर देता है। उसकी खुदाई में कोई शरीक नहीं है। ज़मीन से आस्मां तक  हुकूमत  है सजदा उसी को सजावार है।  वही इबादत के लायक है। लेकिन बे शऊर और बद अक़्ल इंसान अपने बनाये हुए उस बुतो को पूजने लगता है जो अपने बदन पर बैठी हुई मंखी तक को नहीं उड़ा सकता आग की पूजा करने लगता  है जिसे खुद अपने हाथ से जलाता है। और भी बहुत सी ऐसी चीज़ो को पूजने लगता है जिससे वह डर जाता है  .या जिसकी बहुत ज़्यादा इज़्ज़त व अज़मत करने लगता है हक़ीक़त यह है की खुदा को किसी ने नहीं देखा। कुछ  मर्द और औरते ऐसी खूबसूरत होती है की उन्हें देखने की ताब नहीं होती। खुदा को देखने की कैसे ताब  हो सकती है  खुदा अपने बन्दों का बड़े से बड़ा गुनाह माफ़ कर देता है लेकिन शिर्क का गुनाह माफ़ नहीं करता। मुशरिक को हरगिज़ नहीं बख़्शेगा। गैर अल्लाह की पूजा करने वालो का ठिकाना दोज़ख है। दोज़ख बहुत बड़ी  जगह है। वह ऐसी आग है जो अज़ाब तो देती है लेकिन ज़िंदगी का खात्मा  नहीं करती। इंसान उसमे जीता ही रहेगा  और जो सिर्फ खुदा को पूजेगा। वह जन्नत में जायेगा। जन्नत ऐसी आराम व राहत की जगह है जहा न फ़िक्र है  .न ग़म आराम ही आराम है। बेहतर से बेहतर चीज़े खाने को  और अच्छे से अच्छा लिबास पहनने को मिलता है। यही निजात  है। दुनिया निजात ही की मतलाशी है। और चूँकि खुदा की इबादत का तरीक़ा भी होना चाहिए और यह तरीक़ा  इस्लाम ने बता दिया है। इसलिए निजात उसे ही मिलेगी जो इस्लाम इख़्तियार करेगा। 

बिमला ने ठंडा सांस लेकर कहा " किस खूबी से तुमने स्पीच की है और किस अच्छे तरीके से समझाया है। भई मेरे दिल बड़ा  असर हुआ है। मैं मुसलमान होना चाहती हु। "

इल्यास और उनकी अम्मी खुश हो गयी। उनकी अम्मी ने कलमा शहादत पढ़ाया और मुसलमान कर लिया। 

कमला देखती रही। अगरचे  उसने भी इल्यास की माँ  की स्पीच सुनी थी लेकिन उस पर कोई असर नहीं हुआ। इल्यास  ने कहा " जबसे मैंने तम्हे देखा था। मेरी तमन्ना थी की तुम मुस्लमान हो जाओ। लेकिन कह न सकता था। खुदा  ने खुद बखुद मेरी आरज़ू पूरी कर दी। "

बिमला : मैं  अपने मज़हब से पूरी जानकारी रखती हु। मैं अक्सर सोचा करती थी की उस मज़हब का मदार नर्वाण पर है।  नर्वाण उसको कहते है की इंसान अपनी जान  को पाकीज़ा बना कर अपने नफ़्स से दुनिया की नज़्ज़ातो और ऐश  व राहत की ख्वाहिशो  की भी मिटा दे अगर नर्वाण हासिल हो जाये तो इंसान बार बार पैदा होने और मरने की  जंजाल से छूट जाता है लेकिन जब तक नर्वाण हासिल  न हो बराबर आवागवन के चक्क्र में फंसा रहता है। 

लेकिन बुध मज़हब में खुदा के बारे में साफ़ राये ज़ाहिर नहीं  की गयी है खुद महात्मा बुध ने खुदा के बारे में साफ़ साफ़  ब्यान नहीं किया है बल्कि वह उस बहस ही को फ़ुज़ूल समझते है। इसी से लोगो ने धोका खाया की की वह खुद  भगवान् मतलब खुदा थे। और उनके बुत बना कर उन्हें ही पूजने लगे। मैं बुध मज़हब में थी मैंने उस मज़हब की तब्लीग  भी की लेकिन आज कहती हु की मुझे इत्मीनान नहीं था मेरी रूह सच्चाई की तलाश में थी। और मैंने आज  उसे पा लिया है। "

कमला पर अब भी कोई असर नहीं हुआ। इल्यास ने कहा " लश्कर कोच करने वाला है। चलो कमला। मैं तुम्हे पंहुचा  दू। जब लश्कर तुम्हारी बस्ती के क़रीब पहुंचेगा मैं उसमे शामिल हो जाऊंगा। 

कमला : चलो। 

बिमला : मैं तुमसे एक दरख्वास्त करती हु कमला। 

कमला : दरख्वास्त नहीं  मुझे हुक्म दो। 

बिमला : अभी तुम मेरे मुस्लमान होने का किसी से तज़करा न करना। 

कमला : मैं किसी से न करूंगी। 

बिमला : एक मैं  यह चाहती हु की तुम काबुल में चली जाओ और सुगमित्रा से मिलने की कोशिश करो। अगर उस तक  रसाई हो जाये तो यह देखो  जिसके साथ उसकी शादी होने  वाली है वह उससे राज़ी है या नहीं। अगर रज़ामंद है तो  तुम इल्यास का ज़िक्र उससे कर दो।  कह दो की जिसे तुमने जेल खाना से रिहा कराया था वह तुम्हारे मुल्क में आगया  है और तुम्हारे लिए बे क़रार है। ज़रूर उस पर असर होगा और अगर वह रज़ामंद नहीं है तब भी तुम इल्यास  का ज़िक्र उससे करो और कह दो की वह तुमसे मिलना चाहता है और किसी ज़रिये से उसे काबुल से बाहर  निकाल लाओ। मैं क़िला से बाहर  उस गार के क़रीब तुम्हे मिलूंगी जिसके अंदर वह चश्मा है जिसे काबुल के लोग  मुक़द्दस और मुबारक समझते है। 

कमला : यह बात तो मुझे  मालूम है की सुगमित्रा उस शादी पर रज़ामंद नहीं है उसे महाराजा और महारानी    मजबूर  कर रहे है। 

बिमला :  जब तो पक्का तुम्हारे साथ  चली आएगी फिर मैं सब कुछ कर लुंगी बोलो तुम काबुल जाओगी। 

कमला : ज़रूर जाउंगी। मैं अपने भाई के लिए बड़ी से बड़ी क़ुर्बानी कर सकती हु। 

बिमला : शाबाश तुमसे यही उम्मीद है। 

इन सबने मिल कर नाश्ता किया। इल्यास की माँ ने बिमला से कहा " तुम्हारा इस्लामी नाम होना ज़रूरी है। मैं तुम्हारा नाम  फातिमा रखती हु। "

बिमला का नाम फातिमा रखा गया। इधर यह नाश्ता से फारिग हुए उधर खेमे उखाड़े और ऊँटो और खच्चरों पर लादे  जाने लगे। इल्यास कमला  को साथ लेकर पहले चल पड़े उनके जाने के कुछ ही देर बाद लश्कर भी उनके पीछे  चल पड़ा। 



                                               अगला पार्ट ( सुलह का पैगाम )