fatah kabul (islami tarikhi novel) part 8
लाबत चीन। .......
इल्यास की माँ ने कहा "बेटा वह औरत कुछ ऐसा हुस्न और ऐसी शान रखती थी के जो उससे एक बार बात कर लेता था उसका ग्रोवेदा बन जाता था। उसकी आवाज़ निहायत दिलकश और निहायत प्यारा था। शायद उसी वजह से वह मुबल्लिग़ बना कर भेजी गयी थी। वह राबिया को बहुत पसंद करती थी। राबिया भी उससे मानुस हो गयी थी। और ऐसी मानुस के उसके आने का इंतज़ार किया करती थी।
- एक रोज़ जब वह आयी तो उसने राबिया से कहा "भाई चीनी की गुड़िया तुम हमें बहुत अच्छी मालूम होती हो।
- वह :क्या तुम मुल्क हिन्द जाना पसंद करोगी।
- राबिया :अम्मी जान भी चलेंगी।
- इल्यास की माँ ने कहा :"मुझे बेटा तुम और राबिया अम्मी जान ही कहते थे। तुम्हारी देखा देखि मोहल्ला और सारे बच्चे भी अम्मी जान ही कहते थे। यहाँ तक के राफे भी अम्मी जान ही कहने लगे थे गोया मेरा लक़ब ही अम्मी जान हो गया था। उस औरत ने कहा "यह बात तुम अपनी अम्मी जान से पूछो। "
- रबिए :तुम पूछ लो।
- वह :नहीं तुम ही पूछो।
- राबिया ने मुझ से कहा :मुल्क हिन्द में चलोगी अम्मी जान।
- मैंने कहा बेटी !उस मुल्क में सर्दी बहुत होती है। मैं और तुम वहा की सर्दी बर्दाश्त न कर सकेंगे।
- औरत ने कहा :हां हमारे मुल्क में सर्दी ज़्यदा होती है लेकिन सर्दी से बचने के लिए गरम खुशनुमा कपडे होते है। उन्हें पहन कर सर्दी बिलकुल ही मालूम नहीं होती है। उस मुल्क का सब्ज़ा शेरे पानी के चश्मे ,अंगूर ,सेब। सारदा,किशमिश ,बादाम ,पिस्ता यह सब फल और मेवे खाने को मिलते है। उन्हें खाने से भी सर्दी मालूम नहीं होती और बहुत कवि हो जाता है सेहत भी बहुत अच्छी हो जाती है। और चीनी की गुड़िया जब तू यह चीज़े खायेगी तू और भी खूबसूरत मालूम होगी सफ़ेद सुर्खी झलकने लगेगी।
- राबिया बड़े शौक़ से उसकी बाते सुन रही थी। उसने कहा "जब तू और हम मुल्क हिन्द में चलेंगे।
- कुछ देर और बाटे करके वह औरत चली गयी। बातो से मालूम हुआ के उसे हिन्द देखने का बड़ा शौक़ हो गया है। चुनांचा उसने उसी रोज़ या उसके दूसरे दिन मौक़ा पाकर तुमसे बाटे की। तुम दोनों को खबर नहीं थी के मैं भी पास बैठी तुम्हारी बाते सुन रही हु।
- उसने तुमसे कहा :"वह हिंदी बोलने वाली औरत है न।
- तुमने कहा : हां।
- राबिया : वह हिंदी की बड़ी तारीफ करती है। वहा मज़ेदार फल और मेवे होते है। सब्ज़ा और फुलवारी कसरत से है। सर्दी के ज़माने में खुशनुमा लिवास पहनते है वहा चलोगे। "
- तुमने कहा :नहीं।
- राबिया ने हैरत भरी निगाहो से तुम्हे देख कर कहा नहीं क्यू।
- तुमने कहा :इसलिए वहा के लोग कुछ अच्छे नहीं है।
- राबिया ने जल्दी से कहा "लेकिनयह औरत जो हमारे यहाँ आयी है बड़ी अच्छी है।
- तुम :मुझे वह औरत ही बहुत बुरी मालूम होती है।
- रबिए :आखिर क्यू।
- तुम :खबर नहीं।
- राबिया हंस पड़ी वाह वाह औरत बुरी मालूम होती है। लेकिन यह खबर नहीं क्यू।
- तुम :उससे बाते न किया करो।
- राबिया : क्या बुराई है ?
- तुम : बस यह समझ लो के वह औरत बहुत बुरी है।
- रबिए को कुछ नागवार हुआ। उसने कहा "वह बुरी क्यू है आखिर उसमे क्या बुराई देखि तुमने।
- तुम : मेरा दिल कहता है।
- राबिया :तुम्हारा दिल ही बुरा है।
- तुम : कैसे?
- राबिया :वह एक औरत को बुरा समझ रहा है।
- तुम : राबिया मुझे वह औरत इसलिए बुरी मालूम होती है के जब से घर में आयी है तुम्हे अपने पास बिठाये रखती है
- राबिया :वह मुझे लबत चीन कहती है।
- तुम : वह ज़रूर तुम्हे नज़र लगा देगी।
- राबिया हंस पड़ी। इतने में राफे आगये। उन्होंने मेरे पास आकर कहा "रात से उस हिंदी औरत को बुखार आगया है । उसने राबिया को बुलाया है।
- मैंने कहा "ले जाओ वह उसी बहुत मुहब्बत करती है।
- उन्होंने रबिए को बुलाया। मैंने उसे कपडे पहनाये। वह कपडे जो उसे बहुत पसंद थे। काश मैं उसे उस रोज़ न जाने देती। मगर षड़्नी टाला नहीं करती। मेरा दिल चाहता था के मैं उसे खूब स्वारू। मैंने उस का खूब बनाओ सिगांर किया। चश्म बद्दूर वह हूर की बच्ची मालूम होने लगी। तुम भी पास खड़े थे जब मैं उस तैयार कर चुकी तो उसने मुझे अदब से सलाम किया। मैंने उसे गले से लगा लिया। तुम उसे बेतहाशा देखे जा रहे थे। उसने तुम्हारी तरफ देखा और शर्मा गयी।
- राफे ने उसकी ऊँगली पकड़ ली और ले चले मैं ख़ुशी ख़ुशी उसे देख रही थी तुमने मेरी तरफ देख कर कहा। न जाने दो उसे अम्मी जान "
- न मालूम क्यू तुम्हारे यह कहते ही मेरे दिल पर चोट सी लगी। और जी चाहा के मैं राफे को आवाज़ देकर राबिया को रोक लू। लेकिन फ़ौरन ही ख्याल हुआ के हिंदी औरत बीमार है। उसने बुलाया है थोड़ी ही देर में आजायेगी। मैंने तुम से कहा जाने दो बेटा अभी आजायेगी। अगर ऐसा है तो तुम भी उसके साथ चले जाओ। तुम कुछ सोचने लगे फिर बोले "मैं क्यू जाऊ किसी ने मुझे बुलाया थोड़ी है।
- मैंने कहा :अच्छा न जाओ। राबिया ज़रा सी देर में आजायेगी।
- तुम वह से ताल गए। शायद बगीचे में चले गए। उस वक़्त ज़ुहर का वक़्त तंग हो चूका था। और असर का वक़्त शुरू हो चूका था। थोड़ी ही देर में असर की अज़ान हुई। मैने वज़ू किया नमाज़ पढ़ी। जब दुआ मांगने के हाथ उठाये तो मेरा दिल कुछ बेचैन हो गया। राबिया को याद करके भर आया .मैंने उसकी सलामती की दुआ मांगी। और उसकी वापसी का इंतज़ार करने लगी।
- दिन छिप गया राफे रबिए को लेकर नहीं आये। मुझे बड़ा फ़िक्र हुआ। तुम्हे फ़िक्र नहीं गुस्सा था। शायद यह गुस्सा के बगैर तुम्हारी इजाज़त के राबिया चली गयी। तुमने खाना खा लिया लेकिन मैं न खा सकीय। यहाँ तक के काफी रात आगयी। रात चांदनी थी। चाँद निकल आया था और नूर की बारिश कर रहा था। आसमान और ज़मीन दोनों रोशन हो रहे थे। तुम कुछ देर इंतज़ार करके सो रहे थे। मैंने ेशा की नमाज़ पढ़ी। इधर मैं नमाज़ से फारिग हुई उधर किसी के आने का खटका हुआ। मैंने सर उठा कर देखा राफे तनहा आरहे थे। मेरा दिल धक् से हो गया। जब वह मेरे पास आये तो मेरी ज़बान से बेसाख्ता निकला मेरी बच्ची कहा है ?
- राफे इत्मीनान से मेरे पास बैठे। और कहा खबराओ नहीं राबिया को हिंदी औरत ने अपने पास रोक लिया है
- मैं :क्या उसकी तबियत अभी तक ख़राब है ?
- राफे :नहीं अब अच्छी है।
- मैं :फिर तुम राबिया को क्यू नहीं लेते आये।
- राफे : वह ज़िद करने लगी के उसे यही छोड़ जाओ। मैं छोड़ आया। कोई फ़िक्र की बात नहीं है। सुबह सवेरे ले आऊंगा।
- मैं : मैंने उसकी वजह से अभी तक खाना नहीं खाया।
- राफे : अब खा लो मैं भी खाऊंगा।
- मैंने और राफे ने खाना खाया और अपने बिस्तरों में चले गए। राफे की तो मुझे खबर नहीं के वह जागते रहे या सो गए। लेकिन मैं न सो सकीय। शुरू रात में तो कुछ परेशानी सी रही और जो जो रात ज़्यदा आती गयी परेशानी एक अजीब करब और इज़्तेराब में बदलती गई खुद को तसल्ली देती लेकिन इज़्तेराब काम होने के बजाये और बढ़ता गया। पिछली रात को शायद कुछ देर के लिए आंख लग गयी थी। जब आंख खुली तो फजर की अज़ान हो रही थी। मैं जल्दी से उठी और राफे भी उठ चुके थे वह नमाज़ पढ़ें मस्जिद में चले गए मैंने उठ कर नमाज़ पढ़ी थोड़ी देर में राफे आये तुम भी उठ चुके थे। मैंने उनसे कहा जल्दी जा कर राबिया को लेकर आओ।
- उन्होंने मुस्कुरा कर कहा : राबिया की एक गैर हाज़री ने तुम्हे इस क़द्र परेशान कर दिया है ज़रा दिन चढ़ जाये मैं ले आऊंगा।
- मैं समझ गयी वह बगैर नाश्ता किये जाना नहीं चाहते। मैंने जल्दी जल्दी नाश्ता त्यार करके उन्हें और तुम्हे खिलाया और राफे से कहा " लो जाओ और राबिया को लेके आओ।
- राफे मेरे कहने से चले गए और मैं बड़ी बेसब्री से उसके आने का इंतज़ार करने लगी।
- अगला भाग (गुमशुदगी )
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Hindi