fatah kabul ( islami tareekhi novel) part 51
सेहर हुस्न ......
इल्यास के काफी गहरा ज़ख्म आया था। लेकिन वह बेहोश नहीं हुए थे अलबत्ता तकलीफ इतनी थी कि वह बेचैन थे उनके ज़ख़्मी शाने से खून का फवारा उबल रहा था। एक मुजाहिद ने खून बंद करने के लिए ज़ख्म मिला कर अमामा की पट्टी ज़ोर से कस दी इस तदबीर से खून निकलना बिलकुल बंद तो नहीं हुआ लेकिन बड़ी हद तक कमी हो गयी।
इल्यास को सख्त तकलीफ थी लेकिन उन्होंने फिर भी अपनी क़रीब वालो से दुश्मनो का पीछा करने को बोला। उनसे लोगो ने कह दिया अमीर ने पीछा करने को मना कर दिया। वह खुद यहाँ आ रहे है। थोड़ी ही देर में अब्दुर्रहमान वहा आगये। उन्होंने उनकी कैफियत देख कर कहा " जल्द उन्हें उनके खेमे पर पहुचाओ और अब तईब (डॉक्टर) से कहो वह उनका इलाज शुरू करे।
अबू तय्यब बहुत अच्छे डॉक्टर थे। लोग इल्यास को उठा कर ले चले जब उनके खेमे पर पहुंचे तो वह बेहोश हो गए थे अम्मी उनकी लाश सी देख कर दफा तो घबरा गयी। लेकिन फ़ौरन ही उन्हें ख्याल आया की उनका बेटा जिहाद ज़ख़्मी हुआ है। उनके दिल को एक तसल्ली हुई मगर मुहब्बत माँ ने फिर जोश किया और वह उनके ऊपर झुक गयी उनके आंसू जारी हो गए। उन्होंने कहा "बेटा इल्यास ! आँखे खोलो। देखो तुम्हारी अम्मी तुम्हारी बाले पर खड़ी है मेरे चाँद मुझे धोका दे कर छुप न जाना। मैं तुम्हारे लिए जीती थी। तुम मेरे लिए जीना। "
उनके पीछे कमला और राबिआ खड़ी थी। दोनों को आँखों से आंसू की लड़िया जारी थी। सामने बिमला खड़ी थी वो भी रो रही थी। इल्यास के हमदर्द रो रहे थे लेकिन उन्हें खबर न थी। वो बेहोश थे।
थोड़ी देर में अबू तय्यब चंद आदमियों के साथ आये। यह औरते एक तरफ हट गयी। इल्यास के ज़ख्म से अब तक खून जारी था अबू तय्यब ने पहली उनकी नब्ज़ ददेखी। फिर पट्टी खोल कर ज़ख्म देखा। वह कुछ खामोश हो गए एक मुजाहिद ने कहा "क्या ज़ख्म की हालत नाज़ुक है।
अबू तय्यब : हा ज़ख्म गहरा है। खून ज़्यादा निकल गया है। अच्छा यह है की यह नौजवान और ताक़तवर थे। वरना यह ज़ख्म कोई दूसरा होता तो उसकी जान ले चूका होता।
उन्होंने इल्यास के कपडे के ऊपर से चाक किया और पहले ज़ख्म को अच्छी तरह धोया। फिर मरहम लगा कर पट्टी बांध दी और बुलंद आवाज़ से कहा " मैं इल्यास के देख भाल करने वालो से कहता हु कि रात और दिन उनकी निगरानी करे। यह हरकत न करने पाए। अगर ज़रा सी भी गफलत की तो उनकी जान का अंदेशा है।
अबू तय्यब और उनके आदमी चले गए। अम्मी ,बिमला ,कमला और राबिआ वहा आगयी। उन्होंने देखा की इल्यास का चेहरा ज़र्द हो गया है। यह तब्दीली या तो उन्होंने पहले ही देखी थी अब नज़र आयी। या फिर उनके चेहरे पर ज़र्दी छा गयी। उनकी अम्मी का दिल धक् से हो गया। फिर उनके आंसू जारी हो गए वहा कोई ऐसा न था जो उन्हें तसल्ली देता। सब इल्यास से मुहब्बत करते थे और सब के सब ग़मगीन और परेशान थे।
अम्मी इल्यास के पास बैठ गयी उनके एक तरफ राबिआ और दूसरी तरफ कमला बैठ गयी। सामने बिमला बैठी सबकी निगाहे उनके चेहरे की तरफ लगी हुई थी। बिमला ने कहा "नौजवान मुजाहिद !मुझे अहसास नहीं था कि मुझे तुझसे इस क़द्र मुहब्बत हो गयी है। मैं तुझे बेटे से ज़्यादा चाहने लगी हु। मेरा दिल बेईमान होता जाता है। मेरे बेटे मुझे धोका न दे जाना। "
उसकी आँखों से आंसुओ के सैलाब जारी हो गए। अम्मी भी रोने लगी। कमला और राबिआ के आंसू थम ही नहीं रहे थे।
उसी वक़्त लीडर की आने की खबर मिली। कमला और राबिआ हट गयी। अम्मी और बिमला बैठी रह गयी उन्होंने चेहरे पर नक़ाब डाल लिए। लीडर खेमे में आये। उन्होंने इल्यास को देखा। उनकी कैफियत देख कर उनको भी सदमा हुआ .लेकिन उन्होंने अपना गम ज़ाहिर होने न दिया। ज़ब्त किया और अम्मी से कहा "मुहतरम खातून ! मैं जानता हु बेटे की हालत देख कर तुम्हारी क्या कैफियत होगी। तुम्हारा दिल खून के आंसू रो रहा होगा। मगर हम मुसलमान हैं। इस्लाम जारी और बैन का इजाज़त नहीं देता। अल्लाह फरमाता है जब तुम पर कोई मुसीबत आये तो तुम इन्ना लिल्लाहि रजियूंन पढ़ लिया करो "मतलब जो कुछ है अल्लाह ही का है और उसी की तरफ लौटने वाला है "नमाज़ पढ़ कर इलियास की बेहतरी की दुआ मागो। देख घबरा न जाना। खुदा इम्तिहान लिया करता है। बहुत से मुसलमान जंग मैदान में शहीद हो गए। लेकिन इल्यास ज़ख़्मी हो कर आये है। खुदा को तुम्हारा इम्तिहान लेना मंज़ूर है। ज़िन्दगी और मौत खुदा के हाथ में है। उसने तुम्हे एक अमानत दी है। जब तक यह अमानत तुम्हारे पास है उसकी देख भाल और हिफाज़त करो। अगर खुदा अपनी अमानत वापस लेले तो गम न करो। या ग़म भी करो तो शिकायत न करो। बयन और मातम न करो। जो ऐसा करता है वह खुदा से लड़ता है। एक मुस्लमान खुदा से हरगिज़ लड़ नहीं सकता है।
अमीर नसीहत करके और इल्यास की देख भाल करने की हिदायत दे कर चले गए अम्मी और बिमला ने नक़ाब उतार कर रख दिया। कमला और राबिआ आकर बैठ गयी। इस वक़्त अम्मी को कुछ सबर आगया। वह और सब खामोश बैठ गए।
दिन गुज़र गया और रात आगयी। इल्यास की हालत में कोई फ़र्क़ नहीं हुआ। आधी रात तक चारो बैठी रही। आधी रात के बाद कमला और राबिआ ने अम्मी और बिमला की मन्नते करके उन्हें आराम करने को कहा। दोनों आराम करना नहीं चाहती थी लेकिन उनके मजबूर करने से मान गयी और दूसरे खेमे में चली गयी चली गयी। अम्मी ने तहज्जुद की नामज शुरू कर दी। बिमला पड़गयी।
जब एक तिहाई रात बाक़ी रह गयी और चाँद निकल कर नूर की बारिश करने लगा। सफ़ेद चांदनी लग गयी तो खेमा के अंदर काफी रौशनी फैल गयी। अब तक राबिआ चुप बैठी रही थी। उसकी निगाहे इल्यास पर जमी हुई थी .अब उसने कमला से कहा "कमला ! क्या यह अच्छे हो जायेंगे ?"
कमला : उम्मीद तो है। बुध भगवान् से दुआ मांगो।
राबिआ : तुझे मालूम है कमला दादर के धार में बुध भगवान् के सामने फतह की दुआ मांगी गयी थी। मगर भगवान् मदद न की। दादर मुसलमानो ने फतह कर लिया। मेरे दिल में यह शुबा होने लगा है कि हम जिसकी पूजा करते है वह हमारी दुआए सुनता भी है या नहीं।
कमला : ज़रूर सुनता है।
राबिआ : अगर सुनता है मैंने दुआए मांगी है उनमे से एक पूरी क्यू नहीं हुई।
कमला : सब दुआए क़ुबूल नहीं हुआ करते।
राबिआ : कमला ! तूने देखा भी है उनका चेहरा तो बिलकुल ज़र्द हो रहा है।
कमला : खून क्या थोड़ा निकला है। सुर्खी तो खून की ही होती है। जी चाहता है मैं इन पर क़ुर्बान हो जाऊं।
कमला : तुम इतने दिनों से यहाँ आयी हो। क्या कभी भी पहले भी तम्हारे दिल में यह ख्याल पैदा हुआ था।
राबिआ : नहीं।
कमला : तुम अगर चाहो तो यह अभी होश में आ जाये।
राबिआ : किस तरह ?
कमला : उनके ऊपर झुक जाओ। तुम्हारे जिस्म की खुशबु हज़ार का काम करेगी।
राबिआ : तू बड़ी शरीर है।
कमला : मैं सच कह रही हु। तजर्बा करके देख लो।
राबिआ : मेरा जी चाहता मैं इनसे लिपट जाऊ।
कमला : ऐसी गलती मत करना। उन्हें हरकत नहीं होनी चाहिए। तुम्हारे लिपटने से उनके ज़ख्म में हरकत होगी।
राबिआ : जी चाहता है खूब रोऊ।
कमला : यह मेरे भाई है रोने को तो मेरा भी जी चाहता है। लेकिन रोने से क्या फायदा। हमें तो ऐसी तदबीर करनी चाहिए जिससे उन्हें होश आ जाये।
राबिआ : ऐसी तदबीर क्या है?
कमला : वही जो मैंने बताई। उन पर झुक जाओ। फिर तमाशा देखो।
राबिआ ने कहना मान लिया। इल्यास पर झुक गयी। देर तक झुकी रही फिर सीधी हो गयी मगर उन्हें होश नहीं आया .राबिआ ने कहा "बस आगया होश "
कमला : आजायेगा।
दोनों इल्यास को देखती रही। न मालूम राबिआ को क्या ख्याल आया। वह झुकी और आहिस्ता से उनके सीने पर सर रख दिया। थोड़ी देर में इल्यास ने आँखे खोल दी। कमला ने कहा " मुबारक हो वह होश में आगये। "
राबिआ ने उठ कर देखा। वह सच में इस हूर विष को देख रहे थे।
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