fatah kabul (islami tarikhi novel) part 6 ajeeb aqayed
अजीब अक़ाइद
- जब इल्यास नमाज़ पढ़ कर आये तो उनकी माँ भी नमाज़ से फ़ारिग़ हो चुकी थी वह उनके पास आकर बैठ गए। उन्होंने कहा :"अम्मी जान तुम कहती हो के वो औरत बुध को भगवान् समझती थी।
- अम्मी :बेटा ! उसने मुझे बताया था के खुद भगवान् बुध के कालिब में आये थे दरअसल वह भगवान् की क़ायल नहीं थी। उसकी बातो से पता चला था के खुद बुध ही ने भगवान् के बारे में कोई साफ़ राये ज़ाहिर नहीं की। मालूम ऐसा होता है के वह खुदा के हसती ही के क़ायल नहीं थे। इसी लिए वह औरत इस बहस को फ़ुज़ूल समझती थी। वह बुध के बुत अपने पास रखती है और बुतो ही की पूजा करती थी। उन्हें ही नऊज़ुबिल्लाह खुदा समझती थी।
- इल्यास :खुदा की मख्लूक़ किस क़दर अहमक़ है। हर चीज़ को पूजने लगती है जिससे वह डरती है या जिसकी वह इज़्ज़त व अज़मत करती है।
- अम्मी: यही बात है रसूल अल्लाह के मबऊस होने से पहले तमाम अरब का यही हाल था। हर क़बीला ला बुत अलग था और वह उसकी पूजा करती था और यह बुत अजीब अजीब सूरत और शक्ल होते थे। उनसे दो मर्द की सूरत का था। बड़ा कवि हिकल मर्द। यह बुत मुक़ाम दुमता अल नजदल में था। और क़बीला क्लब उसकी पूजा किया करता था। नाइला औरत की शक्ल का था। निहायत हसीन औरत का मुजस्समा। यह बुत बहुत मशहूर कबीलो में था और सब क़ाबिले उसकी पूजा किया करते थे। नसर गिद्ध की शक्ल था हमीरी क़बाएल उसे पूजते थे। और भी बहुत से बेशुमार बुत थे। तरह तरह के सुरतो के। जब मैं ख्याल करती हु तो बेइख्तियार हसी आजाती है के हमारे बुज़ुर्ग भी क्या थे। जो पत्थरो के तस्वीरो को पूजते और उन्हें खुदा मानते थे। यह तो खुदा ने हम पर अहसान किया के उसने हमारी हिदायत के फख्र बानी आदम हज़रत मुहम्मद रसूल अल्लाह को नबी बना कर हमारी हिदायत के लिए भेजा। उन्होंने हमारे लिए हज़ारो तकलीफे उठाये। हमें ज़लालत और गुमराही से निकाला हम से बुत परस्ती छुड़ाई। हमें खुदा के क़ाएल बनाया और खुदा के सामने ला झुकाया।
- इल्यास : सच कहा तुमने अम्मी जान। वह औरत नमाज़ तो क्या पढ़ती होगी।
- अम्मी :नमाज़ उसके मज़हब में नहीं थी। जैसे उसके अक़ीदे अजीब थे ऐसे ही उसकी इबादत का तरीक़ा अजीब था। वह बुध के बुत के सामने हाथ जोड़ बैठ जाती थी। कुछ पढ़ती थी। किसी ऐसी ज़बान में जिसे बार बार सुनने पर भी मैं नहीं समझी। हाथ जोड़े पढ़ती और बुध के बुत को देखती रहती। बड़े गौर और अहतराम से फिर आंखे बंद कर लेती। देर तक आँखे बंद किये इस्टेग्राक की हालत में बैठी रहती। फिर बुत को सजदा करती और उठ कर आँखे खोल देती। उसकी इबादत का तरीक़ा था। मेरे ख्याल में वह बुत को ही भगवान् या खुदा समझती थी।
- इल्यास:खुदा समझे। आखिर यह बुध थे कौन ?
- अम्मी :उस औरत ने उसके बारे में बहुत बड़ा अफसाना बयान किया था। मुझे साडी बाते तो याद नहीं रही। कुछ कुछ हालात याद रहे है। वह कहती थी बुध राजकुमार थे।
- इल्यास :राजकुमार किसे कहते है ?
- अम्मी :राजकुमार शहज़ादा को कहते है।
- इल्यास : खूब !वह शहज़ादा थे।
- अम्मी :हां वह कहती थी के नेपाल कोई मुल्क है जो पहाड़ के अंदर है। उसकी तराई में शाकिया क़ौम के क़ौम के छत्रियो की एक रियासत थी। मामूली रियासत नहीं बल्कि अच्छी खासी हुकूमत। का दारुल सल्तनत शहर "कपिल दस्तु "था। उनके राजा का नाम शादू दहन था। उनके एक लड़का था। उसका नाम बुध था। वह शाकिया क़ौम में होने की वजह से "बुध "शाकिया मणि। "गौतम "भी कहलाते थे कहते है वह हज़रात ईसा की पैदाइश से साढ़े पांच सौ बरस पहले हुए थे चुके अपनी माँ बाप के एकलौते थे इसलिए उनकी परवरिश बड़े लाड प्यार से हुई थी। उन्होंने अच्छी तालीम हासिल की थी। शास्त्रों को बड़ी ताउज्जैह से पढ़ा था। ख़ुसूसन दर्शन शास्त्र और गौर से पढ़ते थे।
- इल्यास :यह शास्त्र क्या है ?
- अम्मी :उस औरत की मालूमात बड़ी वसी थी। उसने बयान किया था के हिन्द में सब एलपीजी बुतपरस्त है। उनके आलिमो ने जिनको बरहमन कहते है। बड़े गौर व खोज और सोच विचार के बाद दर्शन शास्त्र एक किताब तस्नीफ़ की। उस किताब में यह बताया है के लोग किस तरह निजात हासिल कर सकते है। उसका लैब लबाब यह तथा के इंसान को जो तकलीफ या राहत होती है वह उसके पिछले कर्मो का नतीजा है। इंसान अपने अमाल का नतीजा बर्दाश्त करने के लिए बार बार जन्म लेता यानी पैदा होता है। इस अवगुन से बचने की तरकीब यह है के इंसान अक़ीक़त से आगाह हो जाये। बुरे काम न करे अच्छे अमाल करता रहे ताके उसे फिर जन्म लेने की ज़रूरत ही न पड़े।
- इल्यास :अजीब किताब है और उसमे अजीब बाते दर्ज है।
- अम्मी :उसने यह भी बताया था के क़दीम हिन्दुओ के छह दर्शन है। उन दर्शनों का मज़मून बहुत पेचीदा और बड़ा ही औक है। उन दर्शनों के नाम यह है १)सा मुखिया "दर्शन "उसमे यह बतया गया है के रूह और मादा दोनों क़दीम है। एक दूसरे से जुदा है। दुनिया की तख़लीक़ मादा से हुई है। दुनिया का पैदा करने वाला कोई नहीं है। बल्कि मादा और रूह की वजह से हर चीज़ खुद ही पैदा हो जाती है।
- २)योग दर्शन है। इस दर्शन में ईश्वर या खुदा का नाम भी और उसका ज़िक्र भी है लेकिन उसमे ईश्वर या खुदा को दुनिया का पैदा करने वाला नहीं माना गया।
- इल्यास :अम्मी जान अजीब बात है यह तो अगर खुदा और मादा को पैदा नहीं किया तो फिर किसने किया ?
- अम्मी :वह कहती थी जिस तरह ईश्वर मतलब खुदा हमेशा से है उसी तरह रूह और मादा हमेशा से है। न किसी ने खुदा को पैदा किया न रूह और मादा को।
- इल्यास: यह बात कुछ समझ में नहीं आती। तो दुनिया खुद बा खुद पैदा हो गयी।
- अम्मी :उसका ख्याल आइए ही था।
- इल्यास :यह मुमकिन नहीं। वह पड़ी थी।
- अम्मी : वही क्या उसकी सारी क़ौम धोका में पड़ी है। ऐसा मालूम होता है के दुनिया के इस खित्ते में रसूल नहीं आये। वह जानते ही नहीं के खुदा है उनके बुज़ुर्ग दुनिया इसी तरह देखते आये है वह इस गलत में मुब्तेला मुब्तेला हो गए रूह और मादा को किसी ने पैदा ही नहीं किया। अज़ खुद पैदा हो गए। खुदा की वक़अत उनकी नज़रो में ऐसी भी नहीं जैसी बनाने वाले कुमहार की।
- इल्यास :कैसी गुमराही में पड़े हुए ह यह लोग। अच्छा और कौन कौन से दर्शन है।
- अम्मी :तीसरा दर्शन नियाये दर्शन है उसमे इल्म मंतिक की तशरीह है। चौथा दिलशीषक दर्शन है। उसमे इल्म ताबियात का ज़िक्र है। पाँचवा पुरो मीमान्सा दर्शन है। उसमे अमल यानि कर्म का तज़किरा है। और वैद के मुताल्लिक़ तर्ज़े माशरत की तफ़सीलहै। छठा देदान्त सोनतर दर्शन है उसमे रूह और खुदा के एक होने की बहस है। यानि रूह खुदा है और खुदा रूह है।
- इल्यास :तोबा तोबा कैसे लघु ख़यालात है उनके तुमने वेद का ज़िक्र किया यह वेद क्या है।
- अम्मी:वह औरत कहती थी के हिन्द वाले चार वेद मानते है। एक रग वेद। दूसरा साम वेद। तीसरा बज्र वेद। चौथा त्रिवेद। वेद के मायने जानने के है। कहती थी के संस्कृत दान भी नहीं समझते। वेद को श्रुति भी कहते है। श्रुति के मायने है "सुना हुआ" . वह यह भी कहती थी के हिन्द वालो का यह अक़ीदा है के जिस तरह ईश्वर यानि खुदा रूह और मादा हमेशा से है उसी तरह वेद भी हमेशा से है।
- इल्यास :वाह वाह खुदा की क़सम जो बात है लाजवाब है। वेद भी खुदा की तरह हमेशा से है। इससे मालूम हुआ के खुदा ने वेद भी नहीं भेजे बल्कि वह खुद बा खुद पैदा हो गए।
- अम्मी:बेटा मैंने उस औरत से कहा था के कही हिन्द वाले पुरे जाहिल ही तो नहीं भला इन बातो को अक़लमंद इंसान किस तरह मान सकते है। खुदा कोई चीज़ ही नहीं रहा। हर चीज़ खुद बा खुद पैदा होती चली गयी। वह कहने लगी इन बातो का कोई ताल्लुक़ से है। मैंने कहा अजीब अक़ीदे है।
- इल्यास :अच्छा बुध के मुताल्लिक़ और क्या बताया था उसने ?
- अम्मी ;अभी सुनाती हूँ।
अगला पार्ट (गौतम बुध )
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